2 घंटे पहलेलेखक: अलीम बजमी और वैभव पलनीटकर
‘हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की सबसे सफल राइटर जोड़ी सलीम-जावेद रही है। लेकिन इस जोड़ी में डायलॉग लिखने से लेकर प्रोड्यूसर को सुनाने तक का काम जावेद अख्तर ही करते थे, ये बहुत कम लोगों को पता है।’ हाल में जावेद अख्तर की जिंदगी पर लॉन्च हुई किताब ‘जादूनामा’ के लेखक अरविंद मंडलोई ने ये बात दैनिक भास्कर से बात करते हुए बताई है। जादूनामा किताब में अरविंद ने जावेद साहब के बचपन, जवानी, संघर्ष से लेकर शोहरत की जिंदगी को कवर किया है।
पढ़िए उनसे साक्षात्कार के कुछ अंश-
सवाल: आपने जावेद साहब पर ही किताब क्यों लिखी? किस बात ने आपको प्रेरित किया?

मैंने जब अपनी जिंदगी शुरू की, तो बहुत गरीबी थी। घर और खाने का पता नहीं था। इसी दौर में मुझसे जावेद अख्तर की किताब तरकश टकरा गई। तरकश पढ़कर मुझे लगा कि कोई आदमी है जो मेरी कहानी कह रहा है। तब से जावेद अख्तर से एक कनेक्शन बन गया। इसी का नतीजा था कि हम धीरे-धीरे बहुत दोस्त हो गए। वो मेरे लिए पितातुल्य भी हैं। हमारी जमीन हमारी जिंदगी के हालात हैं। जादूनामा किताब लिखने की वजह ये थी।
सवाल: जादूनामा किताब में क्या खास है, इसे लिखने के दौरान आपने किन लोगों से बात की?
जावेद साहब की जिंदगी में जितने लोग रहे हैं, मैंने उन सभी लोगों से बात की है। जावेद साहब के संघर्ष के दिनों से लेकर शोहरत के दिनों तक उनसे मिले सभी दोस्तों से बात की। सभी लोगों ने यही बताया कि जावेद साहब का जिंदगी को देखने का नजरिया हमेशा से एक जैसा ही रहा। जावेद साहब ने 17 साल की उम्र में एक डिबेट में भाषण दिया था, जो आस्था के खिलाफ था। तब से वो नास्तिक थे। आज जब वो 77 साल की उम्र में कामयाबी के शिखर पर हैं, तो आज भी नास्तिक हैं।
सवाल: किताब की तस्वीरों का संकलन कैसे हुआ? इसमें ऐसी कई तस्वीरें जो खुद जावेद साहब के पास भी नहीं है
मेरी और जावेद साहब की दोस्ती को एक लंबा वक्त हो गया है, इसलिए उनके भी कई सारे दोस्त मेरे भी दोस्त हैं। मैंने उनको जानने वाले लोगों से इस किताब के लिए फोटो, दस्तावेज जुटाए हैं। इस किताब के सारे इंटरव्यू मैंने ही किए हैं। फोटोज अलग-अलग लोगों के जरिए जुटाए हैं।
सवाल: क्या इस किताब में जावेद-सलीम की जोड़ी पर भी बात हुई है?

रमेश सिप्पी जी ने अपने इंटरव्यू में साफ तौर पर बताया है कि फिल्म के डायलॉग जावेद साहब खुद लिखते थे और उनके घर अकेले जाकर सुनाते थे। सतीश कौशिक जी ने बताया है कि जब मिस्टर इंडिया फिल्म लिखी गई तब मैं जावेद साहब के साथ ही था और सारे डायलॉग और कैरेक्टर जावेद साहब ने ही लिखे-गढ़े। जावेद साहब खुद कहते हैं कि जावेद साहब ने ही मुझे बनाया है। लेकिन लोगों को ये भी जानना जरूरी है कि सलीम-जावेद की जोड़ी में जावेद साहब का ज्यादा योगदान है। जो डायलॉग आज मुहावरे बन गए हैं, उसके लेखक जावेद अख्तर हैं।
सवाल: किताब से जुड़ा कोई जावेद साहब का किस्सा बताएं?

इस किताब से जावेद साहब की जिंदगी का एक दिलचस्प किस्सा भी जुड़ा है। भोपाल में 56 साल पहले जिस जगह से जावेद साहब ने अंग्रेजी की ख्वाजा अहमद अब्बास की किताब ‘इंकलाब’ खरीदी थी, उसी लॉयल बुक डिपो के मंजुल प्रकाशन ने जादूनामा किताब छापी है।
सवाल: क्या ये किताब हिंदी भाषा के अलावा अलग-अलग भाषाओं में भी आएगी?
अभी तक जादूनामा बुक हिंदी और इंग्लिश में आ गई है। लेकिन आगे दूसरी भाषाओं में भी इसे लॉन्च करेंगे। बुक की कीमत 1999 रुपए है।