2 घंटे पहलेलेखक: किरण जैन
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बॉलीवुड एक्टर रणदीप हुड्डा जल्द ही वेब सीरीज ‘कैट’ में नजर आने वाले हैं। इस सीरीज की वजह से रणदीप खूब सुर्खियों में भी हैं। बलविंदर सिंह जंजुआ द्वारा निर्मित इस सीरीज में रणदीप पुलिस मुखबिर की भूमिका निभाते नजर आएंगे। हाल ही में दैनिक भास्कर से खास बातचीत के दौरान, रणदीप ने इस सीरीज से जुड़ी कुछ खास बातें शेयर की हैं। आइए देखते हैं बातचीत के प्रमुख अंश:-
‘कैट’ सीरीज का हिस्सा होने का अनुभव कैसा रहा?
इस सीरीज के साथ एक नया लेकिन बढ़िया अनुभव रहा। पंजाब, जिससे की मैं बहुत मोहब्बत करता हूं, इसके जरिए मैंने उसका इतिहास पढ़ा, वहां के लोगों की एक अलग बात हैं, इस शहर की हवा में कुछ अलग ही बात है। इसलिए मैं वहां जाकर शूट इस सीरीज को शूट करने के लिए काफी एक्साइटेड था। ये सीरीज हमारे देश में हुए पार्टीशन के बाद का दृश्य दर्शाती है। पार्टीशन के बाद, पंजाब में एक दर्दनाक फेज आया था, पहले इन्सर्जन्सी और फिर ड्रग पेंडेमिक। मेरा किरदार इन दोनों फेज में अलग-अलग टाइमलाईन्स में इन्वॉल्व होता है। इस किरदार से हम ये बताने की कोशिश करते हैं कि एक आम आदमी इन चीजों से कैसे प्रभावित होता है। पहले की फिल्मों में सरदारों के काफी मजे लिए जाते थे- जांघे पीटना, बाइसेप्स फ्लॉन्ट करना; एक हाइपर सुपर इमेजिंग जो बना ली थी, हम उसे तोड़ना चाहते थे क्योंकि असली में सरदार बहुत विनम्र, सहनशील और आध्यात्मिक होते हैं। इसमें हमने यही दिखाने की कोशिश की है।
तकरीबन दो दशक से आप इस इंडस्ट्री का हिस्सा हो, अब तक की अपनी जर्नी से कितने संतुष्ट हो?
मेरा मानना है कि बतौर कलाकार मुझे संतुष्टि न ही मिले तो अच्छा है। हां, बतौर इंसान मैं सीख रहा हूं, परिस्थितियों को स्वीकारना और खुश रहना चाहता हूं। मेरी एक्यूपंचरिस्ट ने मुझसे एक दिन पूछा कि आप किस चीज में अपनी खुशी ढूंढ़ते हैं? इसके जवाब में मैं कहा कि मेरा काम। तब उन्होंने कहा कि मैं एक कलाकार हूं और इस प्रोफेशन में मुझे कभी खुशी या संतुष्टि मिलेगी ही नहीं। मुझे उनकी कही हुई ये बात बहुत बड़ी लग गई। उसके बाद से मैं ‘कला’ में अपनी खुशी नहीं ढूंढ़ता। अब मैं अपनी जिंदगी में खुशी ढूंढ रहा हूं।

सुना है, आप जंगल में रहने की प्लानिंग कर रहे हैं?
सच कहूं तो मुझे जंगलों में फोटोग्राफी करने का बहुत शौक है। जंगल में रहने का ठिकाना भी ढूंढ रहा हूं ताकि मैं ये बॉलीवुड के जंगल से निकलकर असली जंगल में जाऊं और फिर शेर बनकर इस इंडस्ट्री में लौटूं।
एक्टिंग के अलावा आप घुड़सवारी का भी बहुत शौक रखते हैं। इस फील्ड में किस तरह आगे बढ़ने की चाह हैं?
मुझे घुड़सवारी करना बेहद पसंद है। कुछ सालों में, मैंने अपने घोड़ों के साथ एक स्पेशल रिलेशन बनाया है। वे अब मेरे लिए परिवार की तरह बन गए हैं। दो साल पहले तक मेरे पास घुड़सवारी में मैडल था हालांकि कोविड की वजह से मेरे घोड़े थोड़े बूढ़े हो गए। अब कम्पटीशन के लिए नए घोड़े खरीदने की प्लानिंग चल रही है।
आपकी अपकमिंग फिल्म ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर’ के लिए आपने काफी ट्रांसफॉर्मेशन किया है।
मैं पहले ही फिल्म के लिए 18 किलो वजन कम कर चुका हूं। मैं स्वाभाविक रूप से एक खिलाड़ी हूं और इसीलिए मैं अपने शरीर के साथ इन उतार-चढ़ावों को करने में सक्षम हूं। विनायक दामोदर सावरकर की बायोपिक इसकी डिमांड करती है और मुझे भी अपने किरदार में जान फूंकने के लिए अपनी सीमाओं से परे काम करना पसंद है। मैं जो किरदार निभा रहा हूं उसके साथ न्याय करने की पूरी कोशिश करता हूं।